‘एक राष्ट्र, एक डेटा’ पोर्टल: ‘One Nation, One Data’ पोर्टल, जो देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए डेटा साझा करने का एक मात्र स्रोत होगा, नए शैक्षणिक सत्र 2023-24 से उपयोग के लिए तैयार है, इसकी तैयारी बहुत पहले से ही शुरू हो चुकी है।
मीडिया के अनुसार, यह ONOD पोर्टल कॉलेज, विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थानों के मूल्यांकन और मान्यता प्रणाली को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो विभिन्न नियामक निकायों द्वारा डेटा संग्रह और साझा करने की अनुमति देगा।
One Nation, One Data Portal पर बहुत पहले से ही काम चल रहा है इसमें भारी मात्रा में डेटा है और इसका मुख्य काम है कि विभिन्न संस्थानों द्वारा अलग-अलग एजेंसियों को दिए गए मौजूदा डेटा को संकलित किया जाए। फिर यह डेटा संबंधित कॉलेज और विश्वविद्यालयों के साथ जाँचा जाता है कि वह डेटा सही है या नहीं।
‘One Nation, One Data’ (ओएनओडी) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए डेटा स्रोत के रूप में कार्य करेगा, जहां सभी उच्च शिक्षा संस्थान छात्र, शोध परियोजनाएं आदि के बारे में अपना डेटा अपलोड कर सकेंगे। इस डेटा की आवश्यकता निरंतर मूल्यांकन, रैंकिंग और ग्रेडिंग के लिए होती है।
यह डेटा सरलीकरण की अनुमति देगा और इससे संस्थानों को बार-बार विभिन्न पोर्टल पर जानकारी प्रदान करने की समस्या का समाधान होगा। इसके साथ ही, संस्थानों को API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) के माध्यम से डेटा साझा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
उदाहरण के लिए, नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंकिंग के लिए इसका उपयोग कर सकता है, नेशनल असेसमेंट एवं एक्रेडिटेशन कौंसिल (एनएएसी) ग्रेडिंग के लिए इसका उपयोग कर सकता है। यह कार्य एक समिति द्वारा किया जा रहा है, जिसके अध्यक्ष Prof अनिल डी सहस्रबुध्दे, नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन (एनबीए) और यूनियन शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) के अध्यक्ष हैं।
ओएनओडी जरुरत को देखते हुए एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिसे आईआईटी परिषद की स्थायी समिति द्वारा नवंबर में स्थापित ‘भारत के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के मूल्यांकन और मान्यता सुधार के लिए बदलावकारी सुधार’ नामक ड्राफ्ट रिपोर्ट में सुझाया गया था। इस रिपोर्ट को समिति ने स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रिया मांगने के लिए जून 22 तक जनसाधारण क्षेत्र में जारी किया था।
अधिकारी बताते हैं कि ग्रेडिंग प्रणाली में किसी भी गैप के लिए एक मुख्य कारण डेटा में अस्थिरता और डुप्लिकेशन होता है, क्योंकि कई एजेंसियाँ साल के दौरान विभिन्न समयों पर संस्थानों से समान डेटा की मांग करती हैं, जिससे इसकी प्रामाणिकता की जांच करना कठिन हो जाता है।
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