क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?
गुरु पूर्णिमा आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है क्योंकि महर्षि वेद व्यास का जन्म उसी दिन से लगभग 3000 साल पहले हुआ थ। ऐसी मान्यता है कि उनके जन्म के बाद से ही गुरु पूर्णिमा पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। गुरु पूर्णिमा महोत्सव पूरी तरह से महर्षि वेद व्यास को समर्पित है। हर साल हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा कथा
गुरु पूर्णिमा कथा के अनुसार वेदव्यास ने बचपन में अपनी माता-पिता से भगवान के दर्शन की चाह की, लेकिन उनकी माता सत्यवती ने उनकी इच्छा को मना कर दिया। तब वेदव्यास नाराज हो गए और माता ने उन्हें वन में जाने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि जब तुम्हें घर याद आए तो वापस लौट आना। उसके बाद वेदव्यास तपस्या करने के लिए वन में चले गए और वहां उन्होंने कठिन तपस्या की।
इस तपस्या से वेदव्यास ने संस्कृत भाषा में अद्वितीय ज्ञान प्राप्त किया। उसके बाद उन्होंने चार वेदों का विस्तार किया, महाभारत, अठारह महापुराण और ब्रह्मसूत्र रचना की। महर्षि वेदव्यास को चार वेदों का अच्छा ज्ञान था। इसी कारण से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है जो सदियों से चली आ रही है।
कैसे करें गुरु पूर्णिमा पर गुरुओं की उपासना?
- इस दिन हमें सिर्फ अपने गुरु की ही नहीं, बल्क परिवार में जो भी बड़े हैं जैसे माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु समझना चाहिए।
- विद्यार्थी को विद्या सिर्फ गुरु की कृपा और मेहनत से ही मिलती है।
- गुरु से मन्त्र या आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन को बहुत श्रेष्ठ माना जाता है।
- इस दिन हमें गुरुजनों की सेवा करनी चाहिए और उन्हें भेंट देनी चाहिए।