SSC की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए खशखबरी है, वह अब हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकते है।
कर्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय की 14वीं हिंदी परामर्श समिति की मीटिंग में भाषण के दौरान कहा है कि इस ऐतिहासिक निर्णय से स्थानीय युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि हाल ही में यह निर्णय लिया गया है कि सरकारी नौकरी की परीक्षा को 15 भारतीय भाषाओं में आयोजित किया जाए, ताकि भाषा की बाधा किसी भी युवा को नौकरी के अवसर से वंचित न रखे।
SSC द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा अब से हिंदी और अंग्रेजी के साथ ही, प्रश्न पत्र 13 क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार किए जाएंगे, जैसे कि असमिया, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, उड़िया, उर्दू, पंजाबी, मणिपुरी (या मेइती) और कोंकणी में आयोजित की जायेंगी।
मानव संसाधन, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन मंत्रालय की 14वीं हिंदी परामर्श समिति की मीटिंग में सिंग ने यह बयान दिया और बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आखिरी नौ वर्षों में भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं को आधिकारिक भाषा हिंदी के साथ प्रोत्साहित करने में कामयाबी हासिल हुई है।
सरकार का यह निर्णय लाखों उम्मीदवारों को उनकी मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा में भाग लेने का अवसर देगा और उन्हें परीक्षा के दौरान प्रश्नो को समझने में मदद करेगा। सिंह ने कहा कि विभिन्न राज्यों से स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) की परीक्षाओं को अंग्रेजी और हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं में आयोजित करने की मांगें आई हुई थी, इसी को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया है।
सरकार ने इस पहल के रूप में आधिकारिक भाषा नियम, 1976 के साथ एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी, जिसने अन्य मुद्दों के बीच में इस पहल और परीक्षाओं के पाठ्यक्रम की समीक्षा की।
सिंह ने कहा कि हाल ही में स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) ने उम्मीदवारों के लिए उनकी परीक्षा को 15 भाषाओं में लिखने के लिए प्रारूप तैयार किया है, और ये योजना तैयार की जा रही है कि 22 अनुसूचित भाषाओं में लिखित परीक्षणों को अनुमति दी जाए।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि भारत में JEE, NEET और UGC परीक्षाएँ 12 भाषाओं में भी आयोजित की जा रही हैं। UPSC में उच्च अध्ययन विषय पुस्तकों की अभी भी कमी है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय के साथ समन्वय में प्रयास किए जा रहे हैं ताकि भारतीय भाषाओं में विशेषित पुस्तकों को प्रोत्साहित किया जा सके। देश में पहला MBBS कोर्स अक्टूबर पिछले साल मध्य प्रदेश के भोपाल में हिंदी में शुरू किया गया था। और अब उत्तराखंड हिंदी में MBBS कोर्स शुरू करने वाला दूसरा राज्य बन गया है।